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वास्तु के अनुसार पूजा का कमरा बनाने के सरल तरीके
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- आपका पूजा का कमरा हमेशा घर की उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- पूजा के कमरे की छत गोपुरा या पिरामिड के आकार की होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह आकार घर में ज़्यादा पॉजिटिव एनर्जी लाता है।
- अगर आपके घर में एक से ज़्यादा मंज़िल हैं तो पूजा का कमरा हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर ही होना चाहिए। बेसमेंट या ऊपरी मंज़िलों पर पूजा का कमरा नहीं बनाना चाहिए।
- पूजा का कमरा कभी भी बैडरूम में या बेडरूम की दीवार से सटा हुआ नहीं होना चाहिए।
- सीढ़ियों के नीचे भी पूजा का कमरा नहीं होना चाहिए।
- पूजा के कमरे में शांति महसूस होती है, इसलिए इसकी दीवारों पर सफ़ेद, हल्का पीला या हल्का नीला पेंट करवाना बेहतर माना जाता है। यहाँ पर गहरे और चटख रंग का पेंट करवाने से बचना चाहिए।

- पूजा के कमरे में हमेशा दो शटर वाला दरवाज़ा होना चाहिए और यह अच्छी क्वालिटी वाली लकड़ी से बना होना चाहिए। यहाँ के दरवाज़े में ड्योढ़ी भी बनी होना चाहिए जिससे कि इस पवित्र जगह में कीड़े न पहुँच पाएँ।
- पूजा के कमरे में अगर आप कोई मूर्ति लगाते हैं तो उसे पूजा के कमरे में दाखिल होने वाले दरवाज़े के ठीक सामने नहीं लगाना चाहिए।
- पूजा के कमरे में रखी जाने वाली की मूर्ति की लम्बाई 9 इंच से ज़्यादा और 2 इंच से कम नहीं होनी चाहिए। हो सके तो, मूर्ति ना लगाना ही बेहतर होगा।
- पूजा के कमरे में लगाई जाने वाली मूर्ति ज़मीन से 6 इंच ऊपर और दीवार से एक इंच दूर लगानी चाहिए। मूर्ति के ऊपर कोई भी चीज़ नहीं रखनी चाहिए।
- पूजा के कमरे में पूर्वजों की, किसी युद्ध की या मृत्यु की तस्वीर नहीं होनी चाहिए।
- पूजा के कमरे में कोई भी टूटी हुई चीज़ न रखें। अगर कोई मूर्ति या तस्वीर टूट जाती है तो उसे तुरंत बदल लेना चाहिए।
- जब ध्यान लगाएँ या पूजा करें तो आपका चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
- हवन या अग्नि में आहुति पूर्व की तरफ मुँह करके देनी चाहिए और दीपक पूजा के कमरे के दक्षिण-पूर्व कोने में लगाना चाहिए।

- पूजा के कमरे में उत्तर-पूर्व दिशा में खिड़की होनी चाहिए जिससे कि यहां ज़्यादा रोशनी रहे। हालाँकि यहां आपके लगाए दीपक से हमेशा उजाला रहता है लेकिन आप यहां पर आर्टिफिशियल लाइट भी लगा सकते हैं।
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