जब भी हम किसी भी तरह की ख़रीददारी करते हैं, तो हमें एक रसीद दी जाती है जिसमें हमें ट्रांज़ैक्शन से जुड़ी जानकारी मिलती है जैसे कि ट्रांज़ैक्शन कब हुआ, कितने का हुआ और किस तरीके से हुआ। ये रसीद हमारे खर्चों पर नज़र रखने और ट्रांज़ैक्शन हुआ, इसके सबूत के तौर पर काफी अहम भूमिका निभाती है।
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आप जब भी कोई महंगी चीज़ खरीदते हैं तो सबसे पहले आप रसीद की जांच करते हैं और इसे संभाल कर रखते हैं। किराया देना भी एक बहुत बड़ा खर्च होता है, इसलिए हमें अपने किराये की रसीद लेने और उसे संभाल कर रखने के बारे में भी थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए। यहां कुछ और कारण बताए जा रहे हैं कि ऐसा करना क्यों ज़रूरी है –
टैक्स पर बचत करने के लिए
जब आपकी सैलरी 2.5 लाख रुपये से ज़्यादा होती है, तो आपको इनकम टैक्स के तौर पर अपनी सैलरी का कुछ प्रतिशत देना होता है। आप जितना टैक्स चुकाते हैं उसमें से कुछ पैसे बचाने का एक रास्ता यह है कि आपको एचआरए या हाउस रेंट अलाउंस क्लेम करना चाहिए है जो आपकी इनकम का ही हिस्सा होता है। ऐसा करने पर, आपको अपनी इनकम के एचआरए स्लैब पर टैक्स का पेमेंट नहीं करना पड़ेगा।।
जब तक आप किसी मकान मालिक को हर महीने किराया दे रहे हैं या फिर आप अपने माता-पिता के मकान का किराया दे रहे हैं, तब तक आप इसको क्लेम कर सकते हैं। अगर आप इसे कटौती के तौर पर क्लेम करना या अपनी इनकम टैक्स पर छूट पाना चाहते हैं, तो आपके पास इस बात का सबूत होना चाहिए कि आप टैक्स चुका रहे हैं। यह सबूत किराया देने की रसीद होती है। आपकी कंपनी इस क्लेम को सही साबित करने के लिए आपको इन रसीदों को हर महीने जमा करवाने के लिए भी कह सकती है या फिर आपको कम से कम 3 से 6 रसीदों को जमा करवाना पड़ता है। एचआरए के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।
रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए
जब आप किसी मकान मालिक से मकान किराए पर लेते हैं, तो आपके पास इस बात का सबूत होना चाहिए कि आप नियमित और वक्त पर किराया दे रहे हैं। अगर आप अपना किराया कैश में चुकाते हैं तो इस ट्रांज़ैक्शन को डॉक्युमेंट करने की ज़रुरत और भी बढ़ जाती है। अगर आपके पास किराया देने का कोई भी सबूत नहीं है, तो ऐसे में आपका मकान मालिक आसानी से आपको मकान खाली करने के लिए कह सकता है। वह यह क्लेम कर सकता है कि आप किराया नहीं दे रहे हैं, और उस वक्त शायद आपके पास दिखाने के लिए कोई सबूत भी नहीं होगा।
अगर यह मामला कोर्ट में ले जाया जाता है, तो इस बात की संभावना ज़्यादा है कि कोर्ट आपके मकान मालिक के हक़ में फैसला करे, क्योंकि आपके पास अपने क्लेम को साबित करने के लिए किराये की रसीद नहीं होगी।।
विवाद निपटाने के लिए
कई बार आपके और आपके मकान मालिक के बीच मौखिक समझौता (वर्बल एग्रीमेंट) होता है कि रिपेयरिंग या मेंटेनेंस का खर्च कौन उठाएगा और वो रकम किराए में एडजस्ट की जाएगी। जब आप मकान छोड़ेंगे तब यही किराए की रसीद इस बात का सबूत होगी कि आपने बतौर किरायेदार, रिपेयरिंग के लिए कब और कितना पेमेंट किया था। अगर आपके पास यह रसीद नहीं है तो आपकी मकान मालिक के साथ बहस हो सकती है क्योंकि ऐसा कोई सबूत या रिकॉर्ड नहीं होगा जिससे यह साबित होगा कि कुल किराये में किस बात की कटौती की गई थी।
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स्टेबिलिटी और कंसिस्टेंसी दिखाने के लिए
जब आपका किराये का घर बदलेंगे तब यह किराये की रसीद आपके नए मकान मालिक को इस बारे में यकीन दिलाएगी कि आप अपना किराया नियमित और वक्त पर देते हैं। यह विश्वास पैदा करने और यह दिखाने का एक शानदार तरीका है कि आप एक अच्छे किरायेदार हैं। यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि जब आपके पास सही सबूत होगा तो आपको कोई किराये का मकान मिलना बेहद आसान हो जाएगा।
अगर आपको नहीं पता है कि रेंटल एग्रीमेंट कैसे पाया जाता है, तो https://www.nobroker.in/online-rent-receipt-generator चेक करें। यह आपके और आपके मकान मालिक दोनों के लिए सभी जानकारी वाली और सही किराए की रसीद पाने का एक आसान तरीका है।