देश में कुछ गिने-चुने लोग ही ऐसे होंगे जो तुरंत घर ख़रीद सकते हैं। बाकी हम सब को घर खरीदने जैसा इतना बड़ा आर्थिक फैसला लेने से पहले बहुत ही सोच-विचार कर के प्लान बनाना पड़ता है। हमने कुछ ऐसे बहुत ही ज़रूरी पहलुओं की लिस्ट बनाई है, जिनके बारे में आपको इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट करने से पहले अच्छे से सोच-विचार करने की ज़रूरत है। जैसे कि –
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1- बजट तय करें
आप अपने घर के लिए कितना खर्च कर सकते हैं इसका हिसाब आपको अपनी कमाई और कितनी ईएमआई आप आराम से भर सकते हैं, इसके आधार पर करना चाहिए। ऐसा न हो कि आपको भारी-भरकम ईएमआई चुकाने में संघर्ष करना पड़े या गरीबी में दिन गुज़ारने पड़े। आपके पास मौजूद आमदनी के सभी साधनों को जोड़ कर शुरू करें यानि कि सैलरी + फ्रीलान्स वर्क + बोनस= महीने की कुल आमदनी। अब इसमें से अपने महीने के सारे खर्चे घटा दें। अगर आपके खर्चे बहुत ज़्यादा हैं, तो उन खर्चो पर निगाह दौड़ाएं जहाँ आप कटौती कर सकते हैं। अच्छा तो यही होगा कि ईएमआई आपके घर की कुल आमदनी का 20-25% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
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अगर आपकी 40-50% या उससे ज़्यादा आमदनी ईएमआई में ही चली जाएगी तो आपको ईएमआई भरने के लिए बाकी चीज़ो को अनदेखा करना पड़ेगा, या अचानक से कोई खर्च आने पर बहुत परेशानी उठानी पड़ेगी।
2- डाउन पेमेंट (अग्रिम भुगतान) के लिए बचत करें।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआईI) और नेशनल हाउसिंग बैंक ने यह कहा हैं कि कोई भी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी और बैंक किसी प्रॉपर्टी के उचित बाजार मूल्य के एक तय प्रतिशत से ज़्यादा का लोन नहीं दे सकती है। यह प्रतिशत लोन का मूल्य (LTV) अनुपात होता है। अगर आप 30 लाख रुपये तक का लोन चाहते है, आपको घर की कुल कीमत का 90% तक लोन के तौर पर मिल सकता है। 30 लाख से 75 लाख के बीच के लोन की LTV 80% है और 75 लाख से ऊपर के लिए यह 75% है।
50 लाख रुपये का घर खरीदने के लिए आपके पास कम से कम 10 लाख रुपये तैयार होने चाहिए, तब आप बाकी राशि लोन के तौर पर ले सकते हैं। इसलिए आपने कितनी बचत की है उसी के आधार पर आप अपने घर का बजट तय कर सकते हैं। या आप मासिक एसआईपी (SIP) और म्युच्युअल फंड जैसी स्कीम में इन्वेस्ट कर के अपनी बचत शुरू कर सकते हैं।
3- यह तय करें कि घर कहाँ खरीदना है
क्या आपने ऐसे इलाको की तलाश की है जो अभी तरक्की कर रहे हैं, क्योंकि पहले से विकसित इलाकों के बजाय ऐसी जगहों पर इन्वेस्ट करना ज़्यादा अच्छा होता हैं। पॉश इलाके बहुत महंगे होते हैं और वहाँ आपको अपनी पसंद की रेट पर घर नहीं मिल सकते है। जो इलाके अभी तरक्की कर रहे हैं वे अच्छा विकल्प हो सकते हैं, जहाँ आप घर ख़रीद सकते हैं। अगर आप शहर की भीड़-भाड़ से बचना चाहते हैं, तो शहर के बाहरी हिस्से में घर की तलाश करें। दूसरे शहरों में घर खरीदने जैसी बातें आपको लुभा सकती हैं, लेकिन यह अच्छा सुझाव नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें खरीददारों को नए शहर के बारे में कुछ भी नहीं पता था और वे फिर गलत प्रोजेक्ट में फंस गए।
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आपको इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि जिस इलाके में आप इन्वेस्ट कर रहे हैं वहाँ किराया कितना है, फिर से मकान बेचने पर क्या रेट होगा। इससे आपको पता चलेगा कि यहाँ इन्वेस्ट करना कितना जोखिम भरा/सुरक्षित होगा।
4- घर खरीदने के लिए सबसे अच्छे समय की तलाश करें
भारत में, गर्मियों के दौरान घर खरीदना बहुत लोकप्रिय है। क्योंकि इस समय बच्चों की गर्मियों की छुट्टियाँ होती हैं इसलिए परिवार का एक जगह से दूसरी जगह पर जाना थोड़ा आसान हो जाता है। ऐसे में बच्चों के स्कूल की पढ़ाई भी खराब नहीं होती है। चूँकि, गर्मी एक लोकप्रिय समय है, ऐसे में बहुत से बिल्डर हैं जो खरीददारों को आकर्षित करने के लिए खास छूट और ऑफर भी देते हैं, आप इस नज़र रख सकते हैं। यह ऑफर त्योहारों के समय भी होते हैं, इसलिए सही समय चुनना बहुत ज़रूरी है।
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अगर आप दोबारा बिक रहे घर को खरीदने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सब्र रखें। कई ऐसे मकान मालिक हैं जो अपनी प्रॉपर्टी अच्छी कीमत पर बेचते हैं। आप अच्छे से मोल-भाव कर के घर ख़रीद सकते हैं, ऐसे इन्वेस्टर भी हैं जो अब सालों पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी को 0% या उससे भी कम मुनाफ़े पर बेचना चाहते हैं। यही वह समय है जब आप ऐसे घर ख़रीद सकते हैं।
5- सही घर का चुनाव
आप चाहें घर रहने के लिए खरीद रहे हो या इन्वेस्ट करने के लिए, जल्दबाज़ी न करें। घर चुनने से पहले जितना संभव हो सके हर तरफ ज़्यादा से ज़्यादा विकल्पों की तलाश करें। बहुत सारे बिल्डर्स से बात करें, वहाँ रह रहे स्थानीय लोगो से बात करें और सिर्फ एक घर देख कर न खरीदें।
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