हम सब ने को-वर्किंग स्पेस के बारे में सुना है, हमारे आस पास ऐसे सैकड़ों होते हैं, लेकिन यह को-लिविंग स्पेस (एक से ज़्यादा लोगों के साथ किराए का कमरा/मकान शेयर करना) क्या होता है? को-लिविंग काफी हद तक को-वर्किंग की तरह ही होता है, बस इसमे रहने की जगह शेयर करनी होती है। को-वर्किंग के ठीक उलट, को-लिविंग उन लोगों के बारे में है जिनकी सोच मिलती है और जो एक जैसी विचारधारा और आदर्शों को मानते हैं। वैसे तो यह एक मॉडर्न ट्रेंड है, मगर ऐसा हजारों सालों से चला आ रहा है।
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को-लिविंग कैसे काम करता है?
अगर आप ध्यान दें, को-लिविंग काफी हद तक किसी कमरे को किराए पर लेने जैसा ही होता है। आपके पास आपका पर्सनल स्पेस तो होता है, मगर यह एक शेयर की हुई जगह में होता है। यहां वह सब होता है जिसकी आपको ज़रूरत होती है, आपको सभी सुख सुविधाएँ मिलती हैं, लेकिन चूंकि यह एक शेयर की जाने वाली जगह होती है, तो सारे बिल का बोझ अकेले आपके ऊपर नहीं आएगा, और जो भी लोग इस जगह को शेयर कर रहे हैं, बिल भी उन सभी में शेयर होगा।
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आपको ना तो मेंटेनेंस की फिक्र करने की ज़रूरत होती है और ना ही रूम के किराए पर बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ता है। को-लिविंग आपके लिए काफी किफायती होती है क्योंकि इससे आपका इतना खर्च नहीं होता जितना 1BHK या 1RK को किराए पर लेने में होता है और साथ ही आप फर्नीचर, बिल, और बाकी चीजों पर भी बचत कर पाते हैं।
को-लिविंग से किसे फायदा होता है?
यह उन कामकाजी प्रोफेशनल के बीच ज्यादा मशहूर है जो काम के सिलसिले में शहर बदलते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह काफी अच्छा कॉन्सेप्ट है, उन्हें घर ढूंढने के लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि NoBroker जैसी कंपनियां सारे इंतज़ाम करके रखती है। उन्हें सिर्फ घर में आकर रहना होता है।
फर्नीचर से लेकर फ्रिज तक, वाशिंग मशीन से लेकर हाई-स्पीड इंटरनेट तक, सब कुछ आपको अच्छी और चालु हालत में मिलता है।
मिलेनियल्स (21वीं सदी की शुरुआत में जवानी तक पहुंचने वाले) को भी यह कॉन्सेप्ट काफी पसंद आता है क्योंकि इससे आपको महसूस होता है कि आप एक कम्यूनिटी से जुड़े हैं, और अकेले नहीं है, आप अपनी जैसी सोच वाले इंसान के साथ रहते हैं और एक जैसी सोच और पसंद शेयर करते हैं। यह नेटवर्क बनाने का भी एक बेहतरीन तरीका होता है क्योंकि आपके आसपास अलग-अलग कंपनियों में अलग-अलग तरह के काम करने वाले लोग होते हैं। आप इनसे कई चीजें सीख सकते हैं और इन कनेक्शन की मदद से अपने ड्रीम जॉब को भी पा सकते हैं।
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अगर आप स्टूडेंट और कामकाजी प्रोफेशनल है, तो यहां आपको 24/7 पावर बैकअप और इंटरनेट मिलता है ताकि आप बिना किसी रूकावट के अपना काम/पढ़ाई कर सकें।
क्या भारत में को-लिविंग का चलन है?
वैसे तो को-लिविंग एक नया कॉन्सेप्ट है,लेकिन यूरोप और अमेरिका में इसे काफी पसंद किया जा रहा है। हांगकांग और चीन जैसे हमारे नज़दीकी देशों में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। भारत में यह कुछ समय पहले ही आया है और अभी से ही कुछ शहरों की कुछ ख़ास जगहों पर काफी मशहूर हो गया है।
बैंगलोर में को-लिविंग स्पेस के हॉटस्पॉट है-
- व्हाइटफील्ड
- एचएसआर लेआउट
- कोरमंगला
- इंदिरा नगर
- मारतहल्ली
मुंबई में को-लिविंग स्पेस के हॉटस्पॉट है –
- अंधेरी वेस्ट
- अंधेरी ईस्ट
- ऐरोली
- ठाणे वेस्ट
- मलाड वेस्ट
पुणे में को-लिविंग स्पेस के हॉटस्पॉट है
- कोथरुड
- विमान नगर
- पिंपरी-चिंचवड
- खराड़ी
- बनेर
चेन्नई में को-लिविंग स्पेस के हॉटस्पॉट है –
- वेलाचेरी
- अन्ना नगर
- गिंडी
- शोलिंगानल्लुर
- नवल्लुर
हैदराबाद में को-लिविंग स्पेस के हॉटस्पॉट है –
- अमीरपेट
- माधापुर
- गचिबोव्ली
- कोंडापुर
- मनिकोंडा
यह डाटा 70 लाख से ज़्यादा NoBroker कस्टमर से इकट्ठा किया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं, 12546 लोगों पर सर्वे करने के दौरान मिले जवाबों ने इन ट्रेंड्स को और अच्छे तरीके से समझाने में हमारी मदद की है।
अब, अगर आप ऐसे घर की तलाश कर रहे हैं जिसमें आपको आज़ादी भी मिले, आरामदायक, किफायती हो और उसमें आपकी ज़रूरत की सभी चीजें मौजूद हो, तो को-लिविंग स्पेस आपके लिए बिलकुल सही है। इसके बारे में एक और अच्छी चीज़ यह है, कि आपको हर काम में टांग अड़ाने वाले मकान मालिक या आपको बेवजह सलाह देनी वाली पड़ोस की आंटी से भी निपटने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।।
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